मासूम बच्चे की मौत के बाद घंटों चला ड्रामा, शव लेकर वापस लौटे परिजन
न्याय के लिए दर-दर भटकते नजर आए मृत मासूम के परिजन, कहीं नहीं हुई सुनवाई
छह घंटे बाद पुलिस की मौजूदगी में हुआ सुलह-समझौता, बना चर्चा का विषय
सोनभद्र। जिला मुख्यालय के प्रमुख शहर सोनभद्र नगर के एक प्राइवेट अस्पताल में उपचार के दौरान मासूम बच्चे की मौत की घटना ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया। परिजनों की मानें तो सोमवार की सुबह करीब 11ः30 बजे गलत इंजेक्शन लगाने से बच्चे की हुई मौत के बाद वे न्याय के लिए दर-दर भटकते रहे, कभी स्थानीय थाना पुलिस तो कभी स्वास्थ्य विभाग के हुक्मरानों का दरवाजा खटखटाए, लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं हुई। घटना के करीब छह घंटे बाद पुलिस की मौजूदगी में कुछ लोगों द्वारा उनके उपर दबाव बनाकर सुलह-समझौता करा दिया गया।
जगैल थाना क्षेत्र के नेवारी गांव निवासी सुनील कुमार ने अपने मासूम बच्चे को उपचार के लिए बीते 31 अक्टूबर को फ्लाईओवर के नीचे सर्विस लेन के किनारे दि अपोलो चिल्ड्रेन हास्पिटल में भर्ती कराया था। आरोप है कि हास्पिटल में बच्चे को भर्ती कराने के बाद चिकित्सक ने दवा-इलाज के नाम पर उनसे हजारों रूपए जमा कराकर उपचार शुरू किया। गत रविवार को अस्पताल में भर्ती बच्चे की हालत गंभीर हो गई। इस पर उन्होंने अस्पताल के चिकित्सक से संपर्क कर बच्चे को रेफर करने के लिए आग्रह किया, लेकिन चिकित्सक ने बच्चे को रेफर करने से साफ मना कर दिया। सोमवार की सुबह हास्पिटल के कर्मियों ने बच्चे की हालत गंभीर होने का हवाला देते हुए उनसे और रूपए काउंटर जमा करने के लिए दवाब बनाया, लेकिन वे तत्काल में रूपए जमा नहीं कर सके। आरोप है कि रूपए जमा न करने पर बच्चे के उपचार में हास्पिटल के चिकित्सक द्वारा लापरवाही बरती गई। सोमवार की सुबह हास्पिटल के कर्मियों ने बच्चे को इंजेक्शन लगाया, जिसके कुछ ही देर बाद उसकी मौत हो गई। घटना के बाद बच्चे की मौत के लिए दि अपोलो चिल्ड्रेन हास्पिटल के चिकित्सक को जिम्मेदार हठराते हुए अस्पताल परिसर में हो-हल्ला शुरू किया तो चिकित्सक ने अपने कर्मियों के साथ उनके साथ जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए अस्पताल परिसर से भगाने का प्रयास किए।
घटना के बाद पीड़ित परिजनों के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप
दि अपोलो चिल्ड्रेन हास्पिटल में मासूम बच्चे की हुई मौत के बाद पीड़ित परिजन करीब छह घंटे तक मौके पर जूटे रहे। हास्पिटल के चिकित्सक व कर्मियों पर बच्चे के उपचार में लापरवाही बरतने व घटना के बाद उनके साथ जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए उन्हें हास्पिटल परिसर से भगाने का आरोप लगाकर लगातार हंगामा करते रहे, बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों पर कोई फर्क नहीं पड़ा। करीब सात घंटे तक चले हंगामा के बावजूद स्वास्थ्य विभाग के एक भी अधिकारी मौके पर जांच के लिए भी नहीं पहुंचे। पीड़ित पिता सुनील ने बताया कि उसके बच्चे की मौत होने के बाद हास्पिटल के चिकित्सक व कर्मी उसके घरवालों के साथ जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किए। बताया कि बच्चे की मौत के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार चिकित्सक के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कर कानूनी कार्रवाई के लिए वह सदर कोतवाली पहुंच कर प्रार्थना पत्र दिया। बाद घटना स्थल (हास्पिटल) पर पहुंचा तो वहां पर पहले से मौजूद सदर कोतवाल को कोतवाली में दिए गए प्रार्थना पत्र का छायाप्रति देकर न्याय की गुहार लगायी, इस पर सदर कोतवाल माधव सिंह ने प्रार्थना पत्र देने से साफ मना कर दिया। आरोप है कि उन्होंने कहा कि जो तुम प्रार्थना पत्र कम्प्यूटर से टाइप कराए हो, उसी को अपने हांथ से लिखकर दो, तभी मान्य होगा। इस पर पीड़ित ने बोला कि साहब मैं बहुत पढ़ा-लिखा नहीं हुं, मैं हांथ से प्रार्थना पत्र लिख नहीं सकता। बावजूद इसके सदर कोतवाल ने उसकी एक न सुनी। अंततः करीब छह घंटे तक चले ड्रामा के बाद सुलह-समझौता करा दिया गया।
पुलिस को तहरीर देकर वापस आता पीड़ित पिता।
बोले कोतवाल, परिजन नहीं दिए तहरीर
मामले में सदर कोतवाल माधव सिंह ने बताया कि बच्चे की हालत गंभीर होने पर चिकित्सक ने उसे रेफर कर दिया था। बच्चे की मौत होने के बाद परिजन पुनः दि अपोलो चिल्ड्रेन हास्पिटल पहुंच कर बच्चे के दवा-इलाज में खर्च हुए रूपए को वापस की मांग कर रहे थे। शाम को चिकित्सक ने परिजनों को पैसा वापस कर दिया, जिसके बाद वे अपने घर लौट गए। मृतक के पिता के द्वारा सदर कोतवाल पर तहरीर देने से मना करने के लगाए गए आरोप के बावत कोतवाली प्रभारी माधव सिंह ने कहा कि डाक्टर के खिलाफ कार्रवाई के लिए सदर कोतवाली पहुंच कर पुलिस को परिजन कोई तहरीर नहीं दिए है।
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