ओम कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने प्रणत:। क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः।।

नवाह पाठ महायज्ञ का चतुर्थ दिवस: सिया राम चले वन को

 


नवाह पाठ महायज्ञ का चतुर्थ दिवस: सिया राम चले वन को


- भगवान श्रीराम का वनवास ना होता तो विश्व का कल्याण ना होता- सूर्य लाल मिश्र

- मानस नवाह्न पाठ में राम दरबार का हुआ श्रृंगार

सोनभद्र। नगर के आरटीएस क्लब में चल रहे श्री रामचरितमानस नवाह पाठ के चतुर्थ दिवस श्री राम दरबार का भव्य श्रृंगार किया गया और भगवान के वनवास की झांकी का दर्शन भक्तजनों ने किया।

रामचरितमानस के दोहा और चौपाई का गायन करते हुए मुख्य आचार्य सूर्यलाल मिश्र ने कहा कि भगवान श्रीराम का वनवास ना होता तो विश्व का कल्याण ना होता। ऋषि-मुनियों और ब्राह्मणों को सताने वाले राक्षसों का नाश ना होता।

इसका माध्यम बनी उनकी माता केकई और कैकई को वनवास का सुझाव देने वाली मंथरा थी। इस मार्मिक दृश्य को सुनकर, देखकर भक्तजनों की आंखे भर आई तथा जो केकई और मंथरा ने भगवान श्री राम के 14 वर्ष के वनवास के लिए दोषी थी।

उन्हें कटु शब्दो से संबोधित करने लगे। यह कथा लोक में प्रचलित है और हजारों वर्ष बीत जाने के बाद भी आज भी कोई अपने पुत्री का नाम कैकेई और मंथरा नही रखता है।

जबकि प्रभु श्री राम के ह्रदय में माता कैकेई और दासी मंथरा के प्रति अगाध प्रेम था। जिसे तुलसी दास जी ने अपने ग्रंथ श्री रामचरितमानस में उद्धित किया है।

वही एक दिन पूर्व रात्रि प्रवचन में सुप्रसिद्ध कथावाचक हेमंत त्रिपाठी एवं अनिल पाण्डेय ने धनुष यज्ञ पर बोलते हुए बताएं कि टूट कहीं धनु हुई विवाहू के आधार पर धनुष के टूटते ही विवाह हो गया लेकिन कुलगुरू है उससे पूछ कर वंश व्यवहार के अनुरूप अयोध्या नरेश को पत्र भेजकर बुलाने की सलाह दिया।

 वहीं कथा के द्वितीय सत्र में परशुराम संवाद पर सुप्रसिद्व कथा वाचक प्रकाश चंद्र विद्यार्थी ने बोलते हुए कहा कि तेहिं छड राम मध्य धनु तोड़ा। भरे भुवन ध्वनि घोर कठोरा। धनुष के टूटने की आवाज से सारा भुवन में नाद हुआ जिसकी जिसकी आवाज सुनकर परशुराम यज्ञ स्थल पर आ गए उन्हें देख कर सारे राजा थरथर कांपने लगे।

आगे उन्होंने ने विवाह पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राम सिया सिर सिंदूर देहि। शोभा कहीं न जात विधि केही। भगवान राम ने सीता की मांग में सिंदूर डालकर विवाह की विधि को पूरा किया। मंच का संचालन करते हुए आचार्य संतोष कुमार द्विवेदी ने कहा कि सिंदूर प्रेम का प्रतीक होने से पति के प्राण आयु को संरक्षित रखने की क्षमता होती है।

इस अवसर पर मुख्य रूप से समिति के अध्यक्ष सत्यपाल जैन, महामंत्री सुशील पाठक, पप्पू शुक्ला, शिशु तिवारी, किशोर केडिया, सुधाकर दुबे, विमलेश पटेल, सुंदर केसरी, राजेश केसरी, सुशील (लोढ़ी), रविंद्र पाठक, मन्नू पांडे सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।

Delhi 34 news report by chandra mohan Shukla

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