ओम कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने प्रणत:। क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः।।

आरटीएस क्लब में चल रहे श्री रामचरित मानस नवाहृ महायज्ञ के दूसरे दिन निकाली गई श्री राम जन्मोत्सव की भव्य झांकी

 


आरटीएस क्लब में चल रहे श्री रामचरित मानस नवाहृ महायज्ञ के दूसरे दिन निकाली गई श्री राम जन्मोत्सव की भव्य झांकी


सोनभद्र। नगर के आरटीएस क्लब में चल रहे श्री रामचरितमानस नवाह् पाठ महायज्ञ के दूसरे दिन गुरूवार को श्री राम जन्मोत्सव की भव्य झांकी निकाली गई। इस शुभ अवसर पर भगवान श्री राम का जन्म होते ही उपस्थित श्रद्धालुओं ने जय श्री राम के जयकारे लगाए। यज्ञ समिति के लोगों ने भक्तों में सोंठ के लड्डू और खिलौने वितरित किया। 

नवमी तिथि मधुमास पुनीता, शुक्ल पक्ष अभिजीत हरिप्रीता।। मध्य दिवस अति शीत न घामा, पावन काल लोक विश्रामा।। दीनों पर दया करने वाले कौशल्या जी के हितकारी कृपालु प्रभु प्रगट हुए-भए प्रगट कृपाला दीन दयाला कौशल्या हितकारी।। हर्षित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप निहारी, लोचन अभिराम तनु घनश्यामा निज आयुध भुज चारी।। भूषण मन वनमाला नयन भूषण वनमाला, नैन विशाला शोभा सिंधु खरारी।। व्यास आचार्य सूर्य लाल मिश्र के मुखारविंद से निकले इन्हीं छंदों के साथ श्रीराम का जन्म हुआ। श्री सालिक राम को पाल पालने में झूला- झूला कर जन्म उत्सव की झांकी दिखाई गई।, यजमान सत्यपाल जैन ने सह पत्नी रजनी जैन के साथ पालने की डोर पकड़ कर रस्म निभाई। इस अवसर पर मानस पांडाल में रामजन्म उत्सव की झांकी सजाई गई, मुद्राएं एवं खिलौने लुटाए गए और सोंठ के लड्डू बांटे गए, पटाखे भी छुड़ाए गए। इसके एक दिन पूर्व रात्रि प्रवचन के प्रारंभिक क्रम में गोरखपुर से पधारे सुप्रसिद्ध कथावाचक हेमंत त्रिपाठी ने संगीतमय शिव विवाह तथा नारद मोह की कथा सुनाते हुए कहा कि विवाह तो बहुत हुए हैं, लेकिन शिव विवाह समाज के लिए अनुकरणीय है। उन्होंने कहा कि भगवान शिव ने ससुर के पैर नहीं छुए, इसी के कारण दक्ष प्रजापति ने दमाद को समाज में झुकाना चाहा। लेकिन भगवान शिव ने इस परंपरा को तोड़ते हुए यह संदेश दिया कि जिसका एक बार पाव पूज लिया जाए, उल्टा उससे पैर छुआने पर ससुर का विनाश ही होता है। वहीं, श्री राम कथा के दूसरे सत्र में वाराणसी से पधारे मानस वात्सल्य अनिल पांडेय ने नारद मोह की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि जैसे नारद को मोह हुआ उसी तरह मनुष्य भी मोह में बंध जाता है, तो भगवान उसका चेहरा ही बिगाड़ देते हैं। मंच का संचालन आचार्य संतोष कुमार द्विवेदी ने किया। मौके पर समिति के अध्यक्ष सत्यपाल जैन, महामंत्री सुशील पाठक, रविंद्र पाठक, संजय, राजेंद्र केसरी, राधेश्याम केसरी, धर्मवीर तिवारी, भइया चौबे, इंद्रदेव सिंह, मिठाई लाल सोनी, कृपा नारायण मिश्र, पंकज कनोडिया सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।

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